सूर्य और वायु
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बहोत पुराणी बात है, एक दिन सूर्य और हवा में अचानक विवाद होने लगा। दोनों इस बात पर बहस करने लगें की उन दोनों में सबसे अधिक शक्तिशाली कौन है। वायु बड़ी ही घमंडी और जिद्दी स्वाभाव की थी। उसे अपनी शक्ति पर बड़ा ही गुरूर था। उसका मानना था कि वह अगर तेज गति से बहने लगे, तो बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ सकती है। उसमें मौजूद आर्द्रता नदियों और झीलों के पानी को भी जमा सकती है।
अपने इसी घमंड के चलते वायु ने सूर्य से बहस करते हुए कहा – “मैं तुमसे ज्यादा शक्तिशाली हूं। मैं चाहूं तो किसी को भी अपने झोंके से हिला सकती हूं।”
सूर्य ने हवा की बात मानने से इंकार कर दिया और कहा बड़े ही शांत तरीके से कहा – “देखो कभी भी अपने पर घमंड नहीं करना चाहिए।”
हवा यह सुनकर चिढ़ गई और खुद को ज्यादा शक्तिशाली बताती रही।
इस पर दोनों आपस में बहस कर ही रहे थे कि उन्हें तभी रास्ते में एक आदमी दिखाई दिया। उस आदमी ने कोट पहना हुआ था। उसे देखकर सूर्य के मन में एक योजना आई। उसने हवा से कहा – “जो भी इस आदमी को उसका कोट उतारने के लिए मजबूर कर देगा, उसे ही अधिक शक्तिशाली माना जाएगा।”
हवा ने बात मान ली और कहा – “ठीक है। सबसे पहले मैं कोशिश करूंगी। तब तक तुम बादलों में छिप जाओ।”
सूर्य बादलों के पीछे छिप गया। फिर हवा बहने लगी। वह धीमे-धीमे बहने लगी, लेकिन उस आदमी ने अपना कोट नहीं उतारा। फिर वह तेजी से बहने लगी। हवा तेज होने की वजह से उस आदमी को ठंड लगने लगी और उसने अपने कोट से शरीर को अच्छे से लपेट लिया।
बहुत देर तक ठंडी और तेज हवा बहती रही, लेकिन उस आदमी ने अपना कोट नहीं उतारा। अंत में हवा थककर शांत हो गई।
इसके बाद सूर्य की बारी आई। वह बादलों से बाहर निकला और हल्की धूप करके चमकने लगा।
हल्की धूप होते ही उस व्यक्ति को ठंड के तापमान से थोड़ी राहत मिली, तो उसने अपना कोट ढीला कर दिया। इसके बाद फिर सूर्य तेजी से चमकने लगा और तेज धूप निकल गई।
तेज धूप होते ही आदमी को गर्मी लगने लगी और उसने अपना कोट उतार दिया।
जब हवा ने यह देखा, तो वह खुद पर शर्मिंदा होने लगी और उसने सूर्य के सामने अपनी हार मान ली। इस तरह घमंडी वायु का अंहकार भी टूट गया।
कहानी से सीख –
की योग्यता व ताकत पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि घमंड करने वालों की कभी जीत नहीं होती है।
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