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✪✪ व्यंजन✪✪
स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं।
व्यंजन विवरण है, जिन का उच्चारण स्वयं की सहायता से किया जाता है। प्रत्येक व्यंजन में एक स्वर मिलता है। यदि व्यंजन में से स्वर को हटा दिया जाए तो वह व्यंजन हलंत युक्त होता है।
जैसे – ख् + अ = ख
हिंदी वर्णमाला में कुल व्यंजनो की संख्या 33 है।
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व्यंजन के भेद
उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन चार प्रकार के होते हैं। 1 - स्पर्श व्यंजन
2 - अंतस्थ व्यंजन
3 - उष्म व्यंजन
4 - संयुक्त व्यंजन
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स्पर्श व्यंजन : -
स्पर्श व्यंजन को वर्गीय व्यंजन भी कहते हैं। इसका उच्चारण कंठ, तालव्य, मुर्धा, दंत तथा ओष्ठ के परस्पर स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं।
स्पर्श व्यंजन
(गले से ) कंठ्य : क , ख , ग , घ , ड़
(तालु से) तालव्य : च , छ , ज , झ , ञ
(मुर्धा भाग) मुर्धन्य : ट , ठ , ड , ढ , ण
(दांत) दंत : त , थ , द , ध , न
(ओठों ) ओष्ठय प , फ , ब , भ , म
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व्यंजन का वर्गीकरण
उच्चारण के आधार पर व्यंजन का वर्गीकरण
🔯 कंठ्य – क , ख , ग , घ , ड़ ,ह
🔯 तालव्य – च , छ , ज , झ , ञ ,श
🔯 मूर्धन्य – ट , ठ , ड , ढ , ण , ष
🔯 दंत्य – त , थ , द , ध , न , स
🔯 ओष्ठ्य – प , फ , ब , भ , म
🔯 दंतोष्ठ्य – य , र , ल , व
नोट – कंठ्य, तालव्य,मूर्धन्य,दंत्य को उष्म व्यंजन कहलाते हैं।
ड़,ञ, ण,न ,म को पंचमाक्षर या पंचम वर्ण या अनुनांसिक कहते हैं।
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🍦हस्व वर्ण
जिन वर्णों के उच्चारण में कम समय लगता है तथा यह (|) मात्रिक होते हैं।
जैसे- अ ,इ ,उ ,ऋ ( एक मात्रिक)
🍦 दीर्घ वर्ण
उच्चारण में हस्व वर्ण से दुगना समय लगे, उन्हें गुरु (ડ) भी कहते हैं।
जैसे- आ ,ई ,ऊ ,ए ,ऐ ,ओ,औ
🍦अंतस्थ व्यंजन
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय भीतर से बाहर की ओर एक शक्ति लगती है, उन्हें अंतस्थ व्यंजन कहते हैं। अंतस्थ व्यंजन को अर्धस्वर भी कहते हैं।
जैसे- य ,र ,ल ,व (अंतस्थ) (अल्पप्राण)
व्यंजन और स्वर के ठीक मध्य स्थित होने के कारण इनका नाम अंतस्थ रखा गया है।
🍦 उष्म व्यंजन ( संघर्षी)
इनका उच्चारण घर्षण या रगड़ से उत्पन्न ऊष्म प्राणवायु से होता है। जिन व्यंजनों के उच्चारण में हवा के रगड़ खाने से ऊष्मा ( गर्मी) निकलती है उसे उष्म व्यंजन कहते हैं।
जैसे- श ,ष, स ,ह,फ ,ज (महाप्राण)
🍦 स्पर्श- संघर्षी – जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु पहले किसी मुख अवयव से टकराती है, फिर रगड़ खाते हुए बाहर निकलती है, उसे स्पर्श संघर्षी व्यंजन कहते हैं।
जैसे- च ,छ,ज ,झ,ञ
🍦 संयुक्त व्यंजन -दो व्यंजनों को संयुक्त ( मिलाकर) करके बनाया गया व्यंजन संयुक्त व्यंजन कहलाता है।
जैसे- क्ष (क्+ष्)
त्र (त्+र् )
ज्ञ (ज्+ञ्)
श्र (श+र् )
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गले की स्वर तंत्री जब वायु के वेग से कांप कर जब बजने लगती है। तब इन स्वर तंत्रिका ओं में होने वाला कंपन, नाद या गूंज के आधार पर व्यंजनों के दो भेद किए गए हैं।
1] सघोष
2] अघोष
सघोष - जिन व्यंजनों के उच्चारण में स्वर तंत्रीयों मैं कंपन पैदा होता है, उन्हें सघोष व्यंजन कहते हैं।
जैसे – ग ,घ ,ड़ ,ज ,झ,ञ ,ड ,ढ,ण,द ,ध ,न , ब् ,भ ,म
अघोष - जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण से स्वर तंत्रीयों में गूंज उत्पन्न नहीं होती है उसे अघोष व्यंजन कहते हैं।
जैसे- क , ख , च , छ ,ट , ठ, त , थ ,प ,फ,श,ष,स
प्रयत्न – ध्वनियों को उच्चारण में होने वाले यत्न को प्रयत्न कहा जाता है।
श्वास – वायु की मात्रा- इस मात्रा के आधार पर श्वास को के दो वर्गीकरण किया गया है ।
1 ]अल्पप्राण
2 ] महाप्राण
अल्पप्राण - जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु कम मात्रा में निकलती है उन्हें अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं।
जैसे- क , ख , ग , घ , ड़,च , छ , ज , झ , ञ,
महाप्राण - जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वास्थ्य वायु अधिक मात्रा में लगती है उन्हें महाप्राण व्यंजन कहते हैं।
जैसे- घ ,छ , झ,ठ,ढ,थ,ध,फ ,भ ,श,ष,ह ,न ,म
उत्क्षिप्त व्यंजन -जिन व्यंजनों के उच्चारण में जीव का लगभग मूर्धा को स्पर्श करके झटके से वापस आता है उसे उत्क्षिप्त व्यंजन कहते हैं।
जैसे- ट,ठ,ढ,ण,ड़
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📀शब्द📀
वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। शब्द संरचना के आधार पर तीन प्रकार के होते हैं।
📀 रूढ़ शब्द
📀 यौगिक शब्द
📀 योगरूढ़ शब्द
रूढ़ शब्द - जिन शब्दों के सार्थक खंड ना हो सके रूढ़ शब्द कहलाते हैं।
जैसे - रात, घर, पुस्तक आदि।
यौगिक शब्द – वे शब्द जिनमें रूढ़ शब्द के अतिरिक्त एक अन्य रूढ़ शब्द होता है उसे यौगिक शब्द कहते हैं।
जैसे- पुस्तक+ आलय (रूढ़) = पुस्तकालय
योगरूढ़ शब्द - जिन यौगिक शब्दों का प्रयोग रोड का अर्थ में किया जाता है वह शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं।
जैसे- पंकज ( पंक+ज) = कमल।
व्यंजनों की संख्या इस प्रकार है।
🔰 आगत व्यंजनों की संख्या – 2
🔰 संयुक्त व्यंजनों की संख्या – 4
🔰 अन्त:स्थ व्यंजन है – य र ल व
🔰 अर्ध स्वर है – य व
🔰 लुंठित व्यंजन – र
🔰 उष्म संघर्षी व्यंजन – स श ष ह
🔰 उत्क्षिप्त व्यंजन – ड़ ढ
🔰 पार्श्विक व्यंजन – ल
🔰 नासिक्य व्यंजन – ड्,ञ्, ण्,न्,म्
🔰 स्वर यंत्रीय व्यंजन – ह्
🔰अयोगवाह वर्ण – अं अ:
🔰अल्पप्राण व्यंजन – प्रत्येक वर्ग में प्रथम, तृतीय, पंचम वर्ण तथा अंतस्थ वर्ण
🔰 महाप्राण व्यंजन – प्रत्येक वर्ग के द्वितीय व चतुर्थ वर्ण तथा उष्म व्यंजन
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उच्चारण के आधार पर स्वर के 6 भेद होते हैं।
🔰 कंठ्य – अ, आ,
🔰 तालव्य – इ, ई
🔰 मूर्धन्य – ऋ
🔰 ओष्ठ्य – उ,ऊ
🔰 कंठतालव्य – ए,ऐ
🔰 कंठोष्ठ्य – ओ,औ.
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