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Tuesday, September 27, 2022

शहरी चूहा और गांव के चूहा

शहरी चूहा और गांव के चूहा l

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एक बार की बात है, दो चूहे बहुत अच्छे दोस्त थे। एक चूहा शहर में रहता था और दूसरा गांव में, लेकिन दोनों एक-दूसरे की खबर वहां आने-जाने वाले चूहों से लेते रहते थे। एक दिन शहर के चूहे को अपने दोस्त से मिलने का मन किया, तो उसने अपने गांव आने की बात अपने दोस्त के जरिए गांव वाले चूहे तक पहुंचा दी। गांव का चूहा अपने दोस्त के आने की खबर सुनकर काफी खुश हुआ। वह अपने दोस्त का स्वागत करने की तैयारियां करने लगा।

फिर वो दिन आया जब शहर का चूहा, गांव अपने दोस्त से मिलने पहुंचा। गांव के चूहे ने अपने दोस्त का स्वागत बहुत खुशी से किया। दोनों ने खूब सारी बातें की। बातों-बातों में गांव के चूहे ने कहा ‘शहर में तो बहुत प्रदूषण होता होगा न, लेकिन यहां गांव का वातावरण काफी शुद्ध है।’ इन्हीं सब बातों पर चर्चा करने के बाद दोनों चूहों को भूख लगी। गांव के चूहे ने अपने दोस्त को बड़े प्यार से खाने में कुछ फल, रोटी और दाल-चावल परोसे। दोनों ने साथ बैठकर खूब मजे से खाने का आनंद लिया। खाने के बाद दोनों गांव की सैर पर निकल पड़े। उन दोनों ने गांव के खूबसूरत नजारे का आनंद लिया। गांव की हरियाली दिखाते वक्त गांव के चूहे ने शहर के चूहे से पूछा, ‘क्या शहर में भी ऐसे ही हरे-भरे नजारे हैं?’ शहर के चूहे ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन अपने दोस्त को शहर आने का निमंत्रण जरूर दिया। पूरे दिन की सैर के बाद दोनों चूहे रात को खाना खाने बैठे। गांव के चूहे ने फिर से अपने दोस्त को फल और अनाज खाने को दिए। दोनों ने खाना खाया और सोने चले गए।

अगली सुबह गांव के चूहे ने अपने दोस्त को नाश्ते में फिर से वही फल और अनाज परोसे। ये देखकर शहर का चूहा चिढ़ गया। उसने चिढ़ते हुए गांव के चूहे को कहा, ‘तुम्हारे यहां क्या हर रोज हर वक्त एक ही खाना खाया जाता है? क्या इन सबके अलावा कुछ और खाना नहीं है?’

शहर के चूहे ने अपने दोस्त को कहा ‘चलो इसी वक्त शहर चलते हैं। वहां देखना कितनी आराम की जिंदगी है और कितने प्रकार की चीजें खाने के लिए हैं।’ गांव का चूहा अपने दोस्त के साथ चलने को तैयार हो गया। दोनों ही चूहे शहर की तरफ निकल पड़े। शहर पहुंचते-पहुंचते रात हो गई। शहर का चूहा एक बड़े से घर के बिल में रहता था। उतना बड़ा घर देख गांव का चूहा आश्चर्यचकित रह गया। फिर उसने देखा टेबल पर कई तरह के खाद्य पदार्थ रखें थे। दोनों चूहे खाने के लिए बैठ गए। गांव के चूहे ने पनीर का टुकड़ा चखा। उसे पनीर काफी पसंद आया और उसने तुरंत उसे चट कर दिया। अभी दोनों खाना खा ही रहे थे कि उन दोनों को बिल्ली की आवाज सुनाई दी। शहर के चूहे ने गांव के चूहे को तुरंत बिल में छुपने को कहा। उसने बोला, ‘दोस्त जल्दी से बिल में छुपो, नहीं तो बिल्ली हमारा शिकार कर लेगी।’ वो दोनों दौड़कर बिल में छुप गए। गांव का चूहा काफी डर गया था। थोड़े ही देर में बिल्ली वहां से चली गई और दोनों बाहर आ गए।

शहर के चूहे ने गांव के चूहे को हिम्मत देते हुए कहा ‘अब कोई डर नहीं मित्र, वो बिल्ली जा चुकी है। ये सब तो जीवन का हिस्सा है, सामान्य बात है।’ इसके बाद दोनों ने फिर से भोजन करना शुरू किया। अभी गांव के चूहे ने ब्रेड खाना ही शुरू किया था कि दरवाजे पर आवाज हुई और एक लड़का एक बड़े से कुत्ते के साथ अंदर आने लगा। गांव के चूहे का डर और बढ़ गया और उसने इसके बारे में शहर के चूहे से पूछा। शहर के चूहे ने गांव के चूहे को पहले बिल में छुपने को कहा। फिर बिल में छुपे रहते हुए गांव के चूहे को बताया कि वो कुत्ता घर के मालिक का है, जो हमेशा यहां रहता है।

कुत्ते के जाने के बाद दोनों चूहे बिल से बाहर आए। इस बार गांव का चूहा पहले से भी ज्यादा डरा हुआ था। शहर का चूहा गांव के चूहे से कुछ कहता, उससे पहले ही गांव के चूहे ने जाने के लिए इजाजत मांगी। गांव के चूहे ने अपने दोस्त को कहा ‘तुम्हारे इस स्वादिष्ट खाने के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया, लेकिन मैं यहां हर दिन अपनी जान को जोखिम में डालकर नहीं रह सकता दोस्त। स्वादिष्ट भोजन अपनी जगह और कीमती जान अपनी जगह।’ यह कहते हुए गांव का चूहा शहर छोड़कर गांव की तरफ निकल गया। फिर जब वो गांव पहुंचा, तो उसने चैन की सांस ली।


कहानी से सीख

इस कहानी से यही सीख मिलती है कि खतरों से भरी आराम की जिंदगी में कभी सुख-चैन नहीं मिलता है। साधारण, लेकिन सुरक्षित जीवन ही सुखी जीवन है। 

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